नेताजी सुभाषचंद्र बोस की सुनहरी यादें जनपद बागपत में जगह-जगह बिखरी हुई हैं। उनके द्वारा बनाई गई आजाद हिंद फौज में एक दो नहीं बल्कि जनपद के दर्जनों वीर सेनानी भर्ती थे, जिन्होंने अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया।

आजाद हिंद फौज का गठन करने के समय नेताजी सुभाषचंद्र बोस जनपद के बड़ौत शहर में आए थे। उस समय उनकी एक सभा भगवान महावीर मार्ग पर स्थित मीरापुर रजवाहे के किनारे स्थित पंचवटी मंदिर परिसर में हुई थी। यहां पर वे भेष बदलकर आए थे और उन्होंने यहां पर सैंकड़ों की संख्या में मौजूद युवाओं, सेनानियों को संबोधित करते हुए देश के प्रति एकजुट होकर लड़ाई लड़ने को प्रेरित किया था। 

इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन बताते हैं कि पंचवटी मंदिर आज भी सुभाषचंद्र बोस के आने का गवाह हैं। उनके नेतृत्व में जनपद के न जाने कितने वीर सैनिकों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। आजाद हिंद फौज में तो जनपद से बहुत से वीर सैनिक भी भर्ती थे और देश के आजाद होने के बाद भी वे इस बात की गवाही देते थे कि किस तरह से उन्होंने अंग्रेजों के जुल्म-ओ-सितम सहकर नेताजी का साथ दिया।

ढिकौली के 11 वीर सैनिक

सिंगापुर की जेल में युद्धबंदी की हैसियत से बंद ढिकोली निवासी लहरी सिंह समेत 11 नौजवानों ने भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने को आजाद हिंद फौज का दामन थाम लिया था। ढिकौली के लहरी सिंह, गिरवर सिंह, कालू, बेगराज, अनूप सिंह, जिले सिंह, अलम सिंह, खचेडू सिंह, भीम सिंह, नादान सिंह और महावीर सिंह आजाद हिंद फौज में रहकर देश को आजादी दिलाने को अंग्रेजी फौज से लड़े। दरअसल, ये सभी भारतीय अंग्रेजी फौज के सिपाही थे और युद्ध के दौरान हिटलर की फौज ने इन्हें बंदी बनाकर सिंगापुर जेल में डाल दिया।

इलम सिंह व हरि सिंह

हरिसिंह
नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज में शामिल होकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले बावली गांव के स्वतंत्रता सेनानी इलम सिंह व हरि सिंह 1941-42 में आजाद हिंद फौज में तोपखाने में काम पर लगायाथा। 25 दिनों तक सिंगापुर में भूखे-प्यासे रहकर नेताजी सुभाष चंद के नेतृत्व में उन्होंने लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए।

नीरा ने पति के पेट में संगीन घोंपकर हत्या कर दी थी

नीरा खेकड़ा की रहने वाली थी। नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को खेकड़ा नगर में हुआ था। पढ़ाई के समय से ही नीरा आर्य आजाद हिंद फौज में रानी झांसी रेजीमेंट की सिपाही थी। सेठ छज्जूमल ने अपनी बेटी नीरा आर्या की शादी ब्रिटिश सेना में अफसर श्रीकांत जय रंजन दास से की थी। वह भारत में सीआईडी इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे और अंग्रेजों के करीबी थे। जब सीआईडी इंस्पेक्टर श्रीकांत को भनक लगी कि नीरा आर्या सुभाष चंद्र बोस की सेना में शामिल हैं तो उन्होंने नीरा आर्या की रेकी शुरू कर दी। इस तरह जल्द ही श्रीकांत ने सुभाष चंद्र बोस के ठिकाने का पता लगा लिया। इसी दौरान एक दिन नीरा आर्या जब सुभाष चंद्र बोस से मिलने पहुंचीं तो श्रीकांत ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर फायरिंग कर दी। गोली बोस के ड्राइवर को लगी। हालात भांपते ही मौके पर मौजूद नीरा आर्या ने फौरन संगीन निकाली और अपने पति के पेट में घोंपकर उनकी हत्या कर दी।